मिठी गोबिंदराम
पब्लिक स्कूल में अभिप्रेरणा सत्र का आयोजन
गरीबी से
मुक्ति पाने का एक मात्र उपाय शिक्षा ही है - श्रद्धेय भाऊजी
दिनाँक
28 जनवरी 2023 ब्रह्मलीन संत हिरदाराम साहिब जी के
आशीर्वाद एवं श्रद्धेय भाऊजी के मार्गदर्शन में कक्षा छठवीं के छात्रों हेतु
अभिप्रेरक सत्र का आयोजन किया गया।
इस
कार्यक्रम का मूल उद्देश्य छात्रों में नैतिक मूल्यों का रोपण करना रहा ताकि
प्रत्येक छात्र संवेदनशील बनकर निरीह जीवों,
दीन - दुखियों, माता-पिता, समाज
एवं प्रकृति के प्रति अपने दायित्व की ओर जागरूक हो सके।
इस
अवसर पर श्रद्धेय सिद्ध् भाऊजी ने छात्रों को अभिप्रेरित करते हुए कहा कि अपने दिन
की शुरूआत निरीह मूक पशु-पक्षियों को दाना-पानी देने से करें क्योंकि हमारी तरह वे
स्वयं दाने-पानी की व्यवस्था करने में समर्थ नहीं हैं। श्रद्धेय भाऊजी ने आरती के
महत्व पर और प्रकाश डालते हुए छात्रों को संबोधित किया कि संध्या आरती परिवार के
सभी सदस्यों में धैर्य भर कर उन्हें दुःखों एवं दुर्घटनाओं से बचाकर परिवार में
सकारात्मक ऊर्जा द्वारा प्रत्येक सदस्य को प्रफुल्लित मन प्रदान करती है। परिवार
रूपी स्तम्भ को मजबूत करने के लिए आवश्यक है कि प्रत्येक सदस्य ईश्वर की उस
सर्वोच्च सत्ता के प्रति आस्तिक होकर संध्या आरती सामूहिक रूप से करें ताकि परिवार
में आत्मीयता का भाव सुदृढ़ हो सके साथ ही उन्होंने विद्यार्थियों को परामर्श दिया
कि वे आरती के समय अपनी दिन भर की गल्तियों के लिए ईश्वर से क्षमा याचना अवश्य करें।
इसी
क्रम में उन्होंने एक अनुशासित एवं विनम्रशील छात्र बनने के गुणों से परिचित कराते
हुए कहा कि किसी भी परिस्थिति में माता-पिता से ऊँची आवाज़ में बात न करें और न ही
किसी भी वस्तु के लिए उनसे हठ करें क्योंकि माता-पिता सदैव बच्चों के हित-अहित का
ध्यान रखते हुए ही उनकी जरूरतों के अनुसार उनकी इच्छाओं की पूर्ति करते हैं। साथ
ही माँ को अपना ‘बेस्ट-फ्रेंड’
मान कर अपनी दिनचर्या साझा करें। ‘भोजन जीवन का अनिवार्य अंग है’
विषय पर प्रकाश डालते हुए श्रद्धेय भाऊजी ने भोजन ग्रहण करने से पूर्व भोजन मंत्र
का उच्चारण करने पर बल दिया क्योंकि भोजन मंत्र द्वारा किया गया आहार हमारे भीतर
आत्मिक शांति एवं सदगुणों को विकसित करता है। साथ ही स्वास्थ रक्षा हेतु बाहर का खाना
खाने से परहेज करें एवं शादी पार्टियों में बनाये भोजन के सेवन से बचें। अपने
विचारों को परिष्कृत करने के लिए अच्छा साहित्य एवं समाचार-पत्र आवश्यक रूप से
पढ़ें।
वार्षिक
परीक्षा की तैयारी के लिए उन्होंने प्रातः काल नियमित रूप से अध्ययन करने पर बल
दिया जिसके परिणाम स्वरूप विद्यार्थियों को कठिन विषय भी सुगमता से कण्ठस्थ हो
जाते हैं। शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए नियमित रूप से व्यायाम
करें। इस अवसर पर श्रद्धेय सिद्ध् भाऊजी ने छात्रों को अभिप्रेरित करते हुए प्रणाम
करने की विशिष्ट पंचांग शैली का परिचय दिया तथा इस पंचम भाव शैली के मनोवैज्ञानिक, वैज्ञानिक
महत्त्व एवं प्रभाव से उन्हें अवगत कराया। उन्होंने पंचांग शैली की पद्धति पर
प्रकाश डालते हुए कहा कि दोनों हाथों से बड़ों के चरणों को स्पर्श करना, घुटनों
के बल बैठकर चरणों में झुकना, माथे को बड़ो के चरणों में लगाना, साष्टांग
अर्थात संपूर्ण शरीर को झुकाकर चरण वंदन कर हम माता-पिता एवं वृद्धजनों का आशीष
प्राप्त करें।
इसी
क्रम में उन्होंने राष्ट्र निर्माण के आधार स्तंभ लाल बहादुर शास्त्री, ए.पी.जे.
अब्दुल कलाम, अटल बिहारी बाजपेयी एवं वर्तमान
प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी के व्यक्तित्व पर चर्चा करते हुए कहा
कि ‘गरीबी से मुक्ति’ पाने
का एक ही उपाय है, अध्ययनशील होकर सत्संगति का चयन करना। इसी
क्रम में उन्होंने मोदी जी द्वारा विद्यार्थियों से की जाने वाली ‘परीक्षा-पर
चर्चा’ को
गम्भीरता से सुनने हेतु अपील की।
कार्यक्रम
में विद्यालय प्राचार्या श्रीमती आशा चंगलानी ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा
कि संस्कार का अर्थ है - स्वयं का शुद्धिकरण करना। उन्होंने लघु कथा के माध्यम से
छात्रों को अभिप्रेरित करते हुए बुजुर्गों का सम्मान, सभी
के प्रति प्रेम एवं दया भाव रखना, अच्छे विद्यार्थी बनने हेतु
समय-सारणी के पालन की सलाह दी।
इस
शृंखला में श्रीमती मिनी नायर (कोआर्डिनेटर) ने अपने उद्बोधन में कहा कि मानवीय
गुणों से भरा विद्यार्थी ही श्रेष्ठ विद्यार्थी कहलाता है अतः सभी विद्यार्थियों
को अपने जीवन में नियमित पशु-पक्षियों को दाना पानी देना, ईश्वर
की पूजा करना, बड़ों की आज्ञा मानकर उनके चरण स्पर्श करना
तथा अंकुरित अनाज का सेवन करना आदि जैसी अच्छी आदतें डालनी चाहिये
इस
अवसर पर कक्षा छठवीं के सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों ने सक्रिय होकर सहभागिता की ओर
बताए गए मूल्यों को दोहराया और उनको अपनाने का वादा किया।
कार्यक्रम
के अंत में भाऊजी ने छात्रों को आशीर्वाद स्वरूप में पेन भेंट करी। कार्यक्रम का
सफल संचालन विद्यालय शिक्षिका श्रीमती कीर्ति राजपूत एवं आभार ज्ञापन छात्र पार्थ
सोनगरा द्वारा किया गया।
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